वो राजा कि मैना थी...सिर्फ़ राजा देखा करता था उसे......
नर्गिस के फूलोँ मेँ रहा करती थी वो....
सुबह-शाम नर्गिस की महक मेँ महकती थी वो...
ये महक राजा को बहुत भाती थी...
वो तरह-तरह के नग्मे गाती थी राजा के वास्ते...
हजार बरस के आस-पास थी मैना पर बड़ी जवान थी... लोग कहते हैँ चरक सहिंता सरहाने लगा के सोती थी मैना....
पर उम्र के नौ सौ निन्यानवे साल और तीन सौ चौँसठवेँ दिन राजा ने मैना को मरवा दिया... अगले दिन वो हज़ार बरस की जो हो जाती!!!!
और राजा जानता था कि...
"हज़ार बरस नर्गिस अपनी बेनूरी पै रोती है
तब जा कर कहीँ चमन मेँ होता है दीदावर पैदा"
गर कोई दीवाना आ जाता चमन में औ मैना को देख लेता तो...
उफ़ मुहब्बत कितनी संगीन होती है!!!!!!!
नर्गिस के फूलोँ मेँ रहा करती थी वो....
सुबह-शाम नर्गिस की महक मेँ महकती थी वो...
ये महक राजा को बहुत भाती थी...
वो तरह-तरह के नग्मे गाती थी राजा के वास्ते...
हजार बरस के आस-पास थी मैना पर बड़ी जवान थी... लोग कहते हैँ चरक सहिंता सरहाने लगा के सोती थी मैना....
पर उम्र के नौ सौ निन्यानवे साल और तीन सौ चौँसठवेँ दिन राजा ने मैना को मरवा दिया... अगले दिन वो हज़ार बरस की जो हो जाती!!!!
और राजा जानता था कि...
"हज़ार बरस नर्गिस अपनी बेनूरी पै रोती है
तब जा कर कहीँ चमन मेँ होता है दीदावर पैदा"
गर कोई दीवाना आ जाता चमन में औ मैना को देख लेता तो...
उफ़ मुहब्बत कितनी संगीन होती है!!!!!!!