Monday, October 3, 2011

इक बेलिबास सी आरज़ू

इक बेलिबास सी आरज़ू
दर्द लपेटे फिरती है

शब भर जला सितारों का शहर 
रात अब ख़ाक समेटे फिरती है

राहों में खामोशियाँ कभी बोलती थी
अब तन्हाईयाँ  चीखती फिरती हैं
 

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