पलकों के चेहरे पढ़ना बड़ा मुश्किल है
हर बदलते ख़्वाब के साथ इनकी तस्वीर बदल जाती है
धूप में परछाइयों को समेट लो जिस्मों में
छाँव में इनकी तहरीर बदल जाती है
रात और चाँद के भी अजब रिश्ते हैं
चाँद के साथ साथ रातों की भी तासीर बदल जाती हैं
दिल-ओ-जाँ लोगों के हवाले यूँ न करो
बदलते वक़्त के साथ इनकी निगाहें भी बदल जाती हैं
No comments:
Post a Comment