Thursday, November 3, 2011

ऐ दिल

ऐ दिल बड़ी बुरी ये सुबह-ओ-शाम की मसाइल लगेँ...
ये कुर्बतोँ के फ़ासले, ये बंदिशोँ की घुटन औ आज़ादियोँ मे बंदिशेँ लगेँ...
ये सुख़नवर चेहरे, रंग-ओ-बू की आराईशेँ, ये पत्तियोँ के शादाब चेहरे फिर भी चमन मेँ मौसम-ए-ख़िजाँ के फेरे लगेँ....
यहाँ रोज़-ए-हश्र से ज़ियादा हैबतज़दा ये तन्हाईयाँ लगेँ...
औ उदासियोँ की पलकोँ मे अँधेरे के साथ परछाईयाँ चलेँ.....

No comments:

Post a Comment