उठाये ले जाते हो मुझे दर-ए-तन्हाई से
देखना हमपे अगला ज़माना यहाँ बड़ा सर्द गुज़रेगा
किसी के पाँव का एक भी निशाँ नहीँ यहाँ
देखना कोई आबला पा इसी शहर से लिये दर्द गुज़रेगा
खिज़ाँ के तौर-तरीके कभी बदलते नहीँ
देखना इस बार भी हवा के साथ बड़ा गर्द गुज़रेगा
सजाये रह जाओगे तुम इधर महफ़िल-ए-अंजुम
देखना उधर नज्मे-साक़िब आसमाँ से बड़ा फ़र्द गुज़रेगा
देखना हमपे अगला ज़माना यहाँ बड़ा सर्द गुज़रेगा
किसी के पाँव का एक भी निशाँ नहीँ यहाँ
देखना कोई आबला पा इसी शहर से लिये दर्द गुज़रेगा
खिज़ाँ के तौर-तरीके कभी बदलते नहीँ
देखना इस बार भी हवा के साथ बड़ा गर्द गुज़रेगा
सजाये रह जाओगे तुम इधर महफ़िल-ए-अंजुम
देखना उधर नज्मे-साक़िब आसमाँ से बड़ा फ़र्द गुज़रेगा
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