Sunday, May 8, 2011

धुंआ सा है इब्तिदा पर

धुंआ सा है इब्तिदा पर, इंतिहा तलक क्या होगा
दो क़दम पै ही दीख गया काबा, आखिर-ए-सफ़र तलक क्या होगा 

हुआ तो होगा यूँ भी की कभी मंजनू ने कहा होगा 
उफ़!! लैला इस ज़माने में कैस सा नाकाम कोई और क्या होगा 

सवाल-ए-चुप्पी पर लैला ने तहरीर दिया होगा 

देख ले कैस इन शादाब सी बेलों में लैला सा ज़र्द पत्ता कोई और क्या होगा 

धुंआ सा है इब्तिदा पर, इंतिहा तलक क्या होगा

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