Sunday, May 8, 2011

निगाह चाँद पलक

निगाह, चाँद, पलक कोई और बात होगी
तमाम सदी से सुलग रहा है आफ़ताब 
कहीं तो रात होगी
निगाह, चाँद, पलक कोई और बात होगी

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