अब और न धागे सा उलझा मुझको
जो खुदा है तो सुलझा मुझको
है खबर मुझे भी की न गुजरेंगे अब बादल
जो चाहे तो ज़माने की खुशी के लिए रुला मुझको
यूँ तो निभ ही जाती फुरसतों से मेरी
सवाल रोज़गार का याद आ गया मुझको
हर सिम्त है अँधेरा घुप सा
जो रहबर है तो राह दिखा मुझको
really super !!
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